यादों का बरसना
भी ज़रूरी है
जुदाई में ज़िंदा रहने को
इंतज़ार की बंजर तो
फ़ना कर जाती है।

मोहब्बत को नश्तर सा
चुभना भी है लाज़मी
प्रीत फूलों सी रहे नाज़ुक तो
मुरझा कर सूख जाती है।

सहारा की कड़ी धूप सी
भी ज़रूरी है
ज़िंदगी को सोने सा
निखरने के लिए
ठंडक देर तलक तो
सांसें थम ही जाती हैं।

एहसासों की नमी भी
होना ज़रूरी है
हर रिश्ते में
रेत सूखी हो तो
हाथों से फिसल जाती है।❤️❤️

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