शिद्दत से उतरा
मेरी रूह में अक्स उसका
आइने में पूरा तो है मगर...
फिर भी अधूरा लगता है।

बेइंतहा मोहब्बत की हदें
तय करते हैं दायरे रस्मों के
हर बंदिश तोड़ मिल जाने से भी
मिलन का एहसास अधूरा लगता है।

सांसे तेज़ ,धड़कनें तेज़
कुछ इस क़दर तेज़ प्रीत ए जज़्ब में
मैं लिख तो दूँ तेरा नाम पूरा
ना जाने.....फिर भी अधूरा क्यों लगता है।

तलब में शुमार इस क़दर
दीदार उनका
सौ बार भी मिल जाये
मगर......अधूरा लगता है।❤️❤️

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