इक प्रेम है..........
जिस्म से दिल के टुकड़ों का
सीने से लिपट जाएँ माथा जो चूम लें
हर दर्द हो जाए दवा
इक छुअन से कर दे हर बला को दफ़ा
हाँ प्रेम है माँ बाप का ❤️
इक प्रेम है..........
ख़ुद से ख़ुद जैसा
ख़ून का नहीं मगर साँस सा
जो रोये भी रुलाये भी
हँसे भी लड़ जाये भी
लड़खड़ा दूँ जो कभी मैं
मुझे संभाल जाये भी
हाँ वो प्रेम मेरे दोस्त का❤️
इक प्रेम है..........
दिल से दिल का
बसे धड़कनों में मौजूद रहे ज़हन में
रूह में उतर जाये अक्स में नज़र आये
हर सफ़र में दे साथ थाम कर हाथ
हाँ वो प्रेम मेरे जानम मेरी प्रीत का ❤️
इक प्रेम है..........
नाता है उसका मेरी तहज़ीब से
दुनिया के हर इंसा रक़ीब से
ज़िंदगी के सुकूं से हर सलीब से
एहसास जज़्बात परवाह के क़रीब से
हाँ वो प्रेम इंसा का इंसा से इंसानियत का❤️
प्रेम तो प्रेम है
किसी का भी हो
किसी से भी हो.........बस प्रेम दिलों में हो❤️❤️

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