मैं मंज़ूर तो नहीं हूँ
कुछ रिश्तों के आग़ाज़ के लिए
पर इतना यक़ीं है
मुकम्मल नहीं होंगे
अधूरे रिश्ते
मेरे ना होने के बाद।
मैं लकीर हूँ प्रीत की
होती नहीं हूँ सबकी
हथेलियों में मोहब्बत के लिए
पर इतना यक़ीं है
इक तमन्ना आह भरती है
मुझे ना पाने के बाद।
मैं परवाह हूँ दिल ए अज़ीज़ सी
माना बेरुख़े लहजे हों
कभी मेरे जानिब
पर इतना यक़ीं है
लाज़मी हूँ किस क़दर
मेरी अहमियत खो देने के बाद।❤️❤️
कुछ रिश्तों के आग़ाज़ के लिए
पर इतना यक़ीं है
मुकम्मल नहीं होंगे
अधूरे रिश्ते
मेरे ना होने के बाद।
मैं लकीर हूँ प्रीत की
होती नहीं हूँ सबकी
हथेलियों में मोहब्बत के लिए
पर इतना यक़ीं है
इक तमन्ना आह भरती है
मुझे ना पाने के बाद।
मैं परवाह हूँ दिल ए अज़ीज़ सी
माना बेरुख़े लहजे हों
कभी मेरे जानिब
पर इतना यक़ीं है
लाज़मी हूँ किस क़दर
मेरी अहमियत खो देने के बाद।❤️❤️
See Kristin Life
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