तोड देते हैं लम्हे
वक्त भी कभी
बेहद दरिंदा है
अगले पल उठ
अपने टुकड़ों को
समेट जुड जायेगा
वही जिंदा है।
दर्द में लिपटे इंसां
रूह से जिस्म से
घायल हर बाशिंदा है
अपने ज़ख्मों को ढक
मुस्कान के पैबंद से
दर्द से लड जायेगा
वही जिंदा है।
ऐ प्रीत......,
घायल तो यहां
हर एक परिंदा है
मगर जो फिर से
उड़ सखा
वही जिंदा है।❤️❤️
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